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ट्रेडिंग साइकिल (Trading Cycle) के बारे में सबकुछ जाने हिंदी में



ट्रेडिंग (Trading) का मूल अर्थ शेयर बाजार में स्टॉक को खरीदना और बेचना (Buy and Sell) है। लेकिन खरीदना और बेचना व्यापार चक्र (Trading cycle) के सिर्फ दो चरण हैं। ट्रेडिंग अपने आप में पूरी प्रक्रिया है। शेयर बाजार (Share Market) में कई नौसिखिए व्यापारी (Traders) और निवेशक (Investors) ट्रेडिंग और ट्रेडिंग चक्र (Trading Cycle) के बीच भ्रमित हो सकते हैं। इसलिए हम ट्रेडिंग चक्र पर एक विशेष और महत्वपूर्ण ब्लॉग लेकर आए हैं।


ट्रेडिंग साइकिल क्या है? (What is Trading Cycle?)

ट्रेडिंग साइकिल (Trading Cycle) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शेयर बाजार (Share Market) में स्टॉक या ट्रेडों का आदान-प्रदान किया जाता है। यह निवेशक और फर्म के बीच एक सुचारू लेनदेन सुनिश्चित करता है। पहले, व्यापार चक्र (Trading Cycle) में शामिल प्रक्रियाएं स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchnage) में भौतिक रूप से होती थीं लेकिन जैसे-जैसे तकनीक(Technology) विकसित हुई, समय के साथ प्रक्रिया बदल गई है, और अब अधिकांश लेनदेन डिजिटल रूप से होते हैं, जिससे यह काम कुशल और सरल हो जाता है।


व्यापार जीवन चक्र (Trade Life Cycle in Hindi)

ट्रेडिंग लाइफ साइकिल (Trade Life Cycle) में क्रमिक रूप से निम्नलिखित चरण शामिल हैं,

  1. ट्रेडिंग (Trading)

  2. क्लियरिंग (Clearing)

  3. सेटलमेंट (Settlement)


ट्रेडिंग साइकिल (Trading Cycle) कैसे काम करता है?

ट्रेडिंग साइकिल के प्रत्येक चरण में निम्नलिखित क्रियाएं होती हैं।


ट्रेडिंग (Trading)

ट्रेडिंग में प्रतिभूतियों (Securities) की वास्तविक खरीद और बिक्री शामिल है। एक्सचेंज इलेक्ट्रॉनिक ऑर्डर मैचिंग सिस्टम (Electronic Order Matching System) का उपयोग करते हैं जहां वे अनिवार्य रूप से अलग-अलग लोगों से ऑर्डर खरीदने और बेचने से मेल खाते हैं ताकि व्यापार को निष्पादित किया जा सके। तो उदाहरण के लिए निचे दी गयी इमेज में देखे, यहाँ पर बायीं और किसी प्रतिभूती (Security) पर विभिन्न खरीद आदेश (Buy Order) हैं और दायीं और विभिन्न विक्रय आदेश (Sell Order) हैं।



इसलिए मिलान प्रणाली (Order Matching System) यह देखने की कोशिश करती है कि क्या किसी विशेष कीमत पर खरीदने और बेचने के आदेश के बीच कोई मेल है और यदि ऐसा है, तो दोनों ऑर्डर निष्पादित करती है। एक्सचेंज (Exchange) कुशल, त्वरित और अनाम (Anonymous) निष्पादन की सुविधा प्रदान करता है। सभी निवेशक अपने ट्रेडिंग ऑर्डर (Trading Order) को निष्पादित करने के लिए ब्रोकरेज फर्म (Brokerage Firm) पर निर्भर हैं। ब्रोकरेज फर्म अनिवार्य रूप से विभिन्न निवेशकों से ऑर्डर एकत्र करते हैं और उन्हें एक्सचेंज के लिए पास करते हैं, ताकि जब आप ब्रोकरेज ट्रेडिंग शुरू करें तो मध्यस्थ आप के साथ सीधे बातचीत करेंगे और ब्रोकर (Broker) आपकी ओर से एक्सचेंज के साथ बातचीत करेगा। द्वितीयक बाजार (Secondary Market) लेनदेन का अगला चरण समाशोधन (Clearing) है।

क्लियरिंग (Clearing)

एक बार जब दो ऑर्डर मैच हो जाते हैं और व्यापार निष्पादित हो जाता है तो व्यापार को क्लीयरिंग (Clearing) प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है। क्लीयरिंग (Clearing) यह पहचानने की प्रक्रिया है कि कौन सी प्रतिभूतियां (Securities) और किस मात्रा में एक विशिष्ट खरीदार का स्वामित्व है और विक्रेता को कितना भुगतान करना है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यापार (Trade) के लिए, निवेशक A वह खरीदार है जो कंपनी X के १०० शेयर विक्रेता B से ₹१० प्रति शेयर के दर पर खरीदता है। क्लियरिंग हाउस (Clearing House) गणित करेगा और निष्कर्ष निकालेगा कि खरीदार A कंपनी X के १०० शेयर का मालिक है और विक्रेता B ने इसे ₹ १००० के लिए बेचा है।


अब यदि खरीदार या विक्रेता ने कई लेन-देन किए हैं तो क्लियरिंग हाउस उन पर बकाया सभी प्रतिभूतियों (Securities) और उनके द्वारा देय या बकाया शुद्ध भुगतान की पहचान करेगा। क्लियरिंग हाउस या क्लियरिंग कॉरपोरेशन (Clearing Corporation) स्वतंत्र संस्थाएं हैं जो इस पूरी प्रक्रिया का प्रबंधन करती हैं। समाशोधन या क्लीयरिंग की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद जो अगली प्रक्रिया होती है उसको निपटान या सेटलमेंट (Setlement) प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है।

निपटान (Settlement)

क्लीयरिंग प्रक्रिया के बाद, यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी निवेशक पर कितनी राशि बकाया (Balance Due) है। अगला कदम अब इन दायित्वों को पूरा करना है जो निपटान (Settlement) प्रक्रिया का पालन करके किया जाता है। निपटान (Settlement) अनिवार्य रूप से प्रतिभूती (Security) के खरीदारों और विक्रेताओं के लिए संबंधित दायित्वों को पूरा करने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, खरीदार को उस पर बकाया प्रतिभूती (Security) प्राप्त होती है और विक्रेता को उसका बकाया भुगतान प्राप्त होता है। एक बार जब प्रतिभूती (Security) के खरीदार को प्रतिभूती प्राप्त हो जाती है और प्रतिभूती के विक्रेता को भुगतान प्राप्त हो जाता है तो हम कहते हैं कि लेनदेन का निपटान (Settlement) हो गया है।

ट्रेडिंग साइकिल में शामिल मध्यस्थ (Intermediaries)

विभिन्न मध्यस्थ व्यापार जीवन चक्र (Trading Life Cycle) में वे कहां शामिल हैं, इस पर निर्भर करते हुए अलग-अलग भूमिका निभाते हैं। आइए एक-एक करके उन पर नजर डालते हैं,

ट्रेडिंग सदस्य (Trading Members)

निवेशक (Investors) केवल स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) के सदस्यों के माध्यम से व्यापार कर सकते हैं। व्यापारिक सदस्यों को स्टॉक ब्रोकर (Stock Broker) भी कहा जाता है और उनके सहयोगियों को उप-दलाल या सब- ब्रोकर (Sub Broker) कहा जाता है। ट्रेडिंग सदस्यों को एक्सचेंज में तभी प्रवेश दिया जाता है जब वे पूंजी योग्यता, निवल मूल्य (Net Worth) और अन्य मानदंडों के लिए कुछ न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। एक्सचेंज के सदस्य या तो व्यापारिक सदस्य या समाशोधन सदस्य (Clearing Member) या दोनों हो सकते हैं। एक्सचेंज इन सदस्यों की स्थिति, पूंजी और अनुपालन की निगरानी करते हैं। ग्राहकों के प्रति उनका दायित्व भी उनके लिए स्पष्ट रूप से निर्धारित करते है। ये व्यापारिक सदस्य मध्यस्थ होते हैं जिनसे एक विशिष्ट निवेशक सीधे तौर पर व्यवहार करता है। अगला महत्वपूर्ण मध्यस्थ क्लियरिंग हाउस (Clearing House) है।

क्लियरिंग हाउस (Clearing House)

समाशोधन गृह (Clearing House) समाशोधन प्रक्रिया (Clearing Process) की सुविधा प्रदान करते हैं जिसका हमने पहले वर्णन किया था। एक्सचेंज पर निष्पादित सभी ट्रेडों के लिए प्रतिपक्ष (Counterparty) के रूप में कार्य करने के लिए अब क्लियरिंग हाउस को स्वतंत्र संस्थाओं के रूप में स्थापित किया गया है। इसलिए सभी खरीदार क्लियरिंग हाउस को धन का भुगतान करते हैं और सभी विक्रेता उन्हें प्रतिभूतियां (Securities) वितरित करते हैं। क्लियरिंग सदस्य (Clearing Members) क्लियरिंग हाउस के सदस्य होते हैं जो खरीदारों और विक्रेताओं (Buyers and Sellers) के साथ सीधे बातचीत करके इस लेनदेन की सुविधा प्रदान करते हैं। क्लियरिंग हाउस स्टॉक एक्सचेंजों (Stock Exchange) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां हो सकती हैं या वे पूरी तरह से स्वतंत्र वित्तीय संस्थान (Financial Institution) हो सकते हैं। क्लियरिंग हाउस का उद्देश्य कुछ जोखिम प्रबंधन तंत्रों (Risk Management Mechanisms) का उपयोग करके निपटान जोखिम को कम करना है। समाशोधन गृह अक्सर निपटान जोखिम (Settlement Risk) को कम करने के लिए एक नेटिंग तंत्र और मार्जिन आवश्यकता की एक प्रणाली लागू करते हैं। अन्य महत्वपूर्ण मध्यस्थ डिपॉजिटरी और डिपॉजिटरी प्रतिभागी (Depositories And Depository Participants) हैं।

डिपॉजिटरी और डिपॉजिटरी प्रतिभागी

डिपॉजिटरी (Depository) अनिवार्य रूप से एक संस्था है जो प्रतिभूतियों (Securities) के आदान-प्रदान को रखती है और सुविधा प्रदान करती है। केंद्रीकृत डिपॉजिटरी (Centralized Depositories) दलालों को प्रतिभूतियां जमा करने में सक्षम बनाती हैं ताकि बुक एंट्री (Book Entry) और रेकॉर्ड -कीपिंग (Record Keeping) सेवाओं को क्रम में किया जा सके। द्वितीयक बाजारों (Secondary Market) में सुरक्षा ग्रेड के लिए, प्रतिभूती (Security) को इलेक्ट्रॉनिक या अभौतिक रूप में रखा जाना चाहिए। जारीकर्ता जीन प्रतिभूतियों (Securities) को जारी करता है, उन्हें उन डिपॉजिटरी (Depository) में स्वीकार करता है जहां उन्हें निवेशक के नाम पर इलेक्ट्रॉनिक प्रविष्टियों के रूप में रखा जाता है। इस सूची को अद्यतन (Update) रखने की इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए जमाकर्ता डिपॉजिटरी प्रतिभागियों (Depository Participants) को नियुक्त करते हैं जो डिपॉजिटरी और निवेशक (Investor) के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं। प्रत्येक निवेशक के पास डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट के साथ डीमैट खाता (DEMAT Account) होता है। डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट के साथ इस डीमैट खाते (DEMAT Account) के जरिए सिक्योरिटीज का सेटलमेंट किया जाता है। डिपॉज़िटरी प्रतिभागी, बदले में, डिपॉज़िटरी को स्वामित्व (Ownership) के परिवर्तन के बारे में सूचित करता है। संबंधित ट्रेडों के लिए भुगतान पूर्व-पहचान वाले समाशोधन बैंकों (Clearing Banks) के माध्यम से तय किए जाते हैं। एक अन्य महत्वपूर्ण मध्यस्थ जिसका हम उल्लेख करना चाहते हैं वह है कस्टडियन (Custodian)।

कस्टडियन (Custodian)

कस्टडियन (Custodian) संस्थागत मध्यस्थ (Institutional Intermediaries) होते हैं जो बैंकों, बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंड और विदेशी संस्थागत निवेशकों जैसे बड़े संस्थागत निवेशकों की ओर से धन और प्रतिभूतियों (Securities) को रखने के लिए अधिकृत होते हैं। कस्टडियन (Custodian) अनिवार्य रूप से द्वितीयक बाजार ट्रेडों (Secondary Market Trades) का निपटान करते हैं और संस्था के लिए प्रतिभूतियों और निधियों (Funds) के निपटान का प्रबंधन करने के लिए समाशोधन सदस्यों (Clearing Members) और समाशोधन बैंकों (Clearing Banks) के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।

ट्रेडिंग साइकिल की समय अवधि (The Time Period of the Trading Cycle)

भारतीय स्टॉक एक्सचेंज (Indian Stock Exchange) ‘T+2’ रोलिंग निपटान चक्र (Rolling Settlement Cycle) का उपयोग करता है। जिस दिन व्यापार किया जाता है उसे ‘T’ द्वारा दर्शाया जाता है। यह इंगित करता है कि शुरुआत से निपटान तक, ट्रेडिंग साइकिल को पूरा होने में दो दिन लगते। हालांकि, सेबी (SEBI) ने हाल के अपडेट में कई व्यवसायों को अस्थायी रूप से ‘T +1’ निपटान चक्र का उपयोग करने की अनुमति दी है। व्यापार की तारीख के बाद प्रत्येक कार्य दिवस को T + 1, T + 2,... और इसी तरह से दर्शाया जाता है।


व्यापार चक्र (Trading Cycle) एक ऐसी प्रक्रिया है जो ट्रेडों को खरीदने/बेचने से शुरू होती है और उन ट्रेडों के निपटान (Settlement) के साथ समाप्त होती है। व्यापार जीवन चक्र (Trade Life Cycle) में लेन-देन प्रक्रिया को सुचारू करने के लिए मध्यस्थ फर्म शामिल होते हैं। प्रक्रिया काफी सरल है और दोनों पक्षों को बिना किसी समस्या के व्यापार करने में मदद करती है। आने वाले वर्षों में यह प्रक्रिया और तेज हो सकती है।


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